
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ‘Sustainable wellness of students: A collective responsibility in higher education‘ नामक पुस्तक का विमोचन किया। यह कार्यक्रम देहरादून स्थित मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित किया गया था, जिसमें उच्च शिक्षा क्षेत्र से जुड़े कई विशेषज्ञ, शिक्षाविद् और नीति निर्माता उपस्थित थे। यह पुस्तक छात्रों के समग्र कल्याण की दिशा में एक अत्यंत उपयोगी प्रयास है, जिसमें उनके मानसिक स्वास्थ्य, करियर विकास, जीवन कौशल और भावनात्मक संबल जैसे विषयों को विस्तार से प्रस्तुत किया गया है।
इस पुस्तक का संपादन प्रो. लता पांडे (DSB Campus, Kumaon University) और डॉ. रमा आनंद (नीति अनुसंधान केंद्र, नई दिल्ली) ने किया है। इसमें छात्रों के सामने आने वाली चुनौतियों और संस्थागत उत्तरदायित्व पर प्रकाश डाला गया है। इस पुस्तक के माध्यम से यह संदेश दिया गया है कि छात्र कल्याण केवल एक विभाग या व्यक्ति की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि इसके लिए अभिभावकों, शिक्षकों, प्रशासनिक अधिकारियों और नीति निर्माताओं सभी को मिलकर काम करना होगा।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यह पुस्तक न केवल शिक्षकों और संस्थानों के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होगी, बल्कि विद्यार्थियों की मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं को समझने और उन्हें सहायता प्रदान करने हेतु एक संवेदनशील एवं समग्र दृष्टिकोण विकसित करने में भी सहायक होगी। उन्होंने इस पुस्तक का हिंदी संस्करण प्रकाशित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया ताकि यह विचार और संदेश राज्य के अधिक से अधिक विद्यार्थियों, शिक्षकों और शिक्षण संस्थानों तक पहुँच सके। यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्यों के अनुरूप है, जिसमें एक छात्र-केंद्रित और समावेशी शिक्षा प्रणाली की परिकल्पना की गई है।
पुस्तक की विषयवस्तु :-
- छात्रों का मानसिक स्वास्थ्य :-
- तनाव, चिंता, अवसाद और आत्मविश्वास संबंधी समस्याओं की पहचान और समाधान।
- परामर्श और मनोवैज्ञानिक सहायता की भूमिका।
- परामर्श सेवाओं की आवश्यकता :-
- शैक्षणिक संस्थानों में पेशेवर परामर्श की उपलब्धता सुनिश्चित करने की सिफ़ारिश।
- शिक्षकों और कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने की सलाह।
- संस्थागत उत्तरदायित्व :-
- विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को स्वास्थ्य केंद्रों के रूप में विकसित करने का आह्वान।
- छात्र-हितैषी नीतियों और संरचनाओं की आवश्यकता।
- शिक्षकों और अभिभावकों की भूमिका :-
- शिक्षकों द्वारा छात्रों की भावनात्मक आवश्यकताओं को समझने और संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाने पर ज़ोर।
- अभिभावकों के साथ संवाद और सहयोग की आवश्यकता।
- जीवन कौशल विकास :-
- आत्म-प्रबंधन, भावनात्मक बुद्धिमत्ता, संचार कौशल जैसे महत्वपूर्ण जीवन कौशलों पर ज़ोर।
- छात्रों को ज़िम्मेदार नागरिक और निर्णयकर्ता बनाना।
- करियर मार्गदर्शन :-
- समय पर और उचित करियर परामर्श प्रदान करने की व्यवस्था।
- छात्रों को उनकी रुचि और क्षमता के अनुसार मार्गदर्शन प्रदान करना।
- सामूहिक उत्तरदायित्व :-
- छात्र कल्याण केवल एक विभाग या व्यक्ति की ज़िम्मेदारी नहीं है, बल्कि सभी हितधारकों की भागीदारी से ही संभव है।
- नीतिगत सुझाव और शोध :-
- संस्थानों में छात्र कल्याण की निगरानी के लिए नीति-स्तरीय सुझाव।
- दीर्घकालिक प्रभाव हेतु डेटा संग्रह और मूल्यांकन हेतु सलाह।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 से तालमेल :-
- पुस्तक की सिफारिशें नई शिक्षा नीति के समग्र विकास और छात्र-केंद्रित शिक्षा के सिद्धांतों से मेल खाती हैं।
- समावेशिता और सुगम्यता :-
- सभी सामाजिक-आर्थिक वर्गों, लैंगिक पहचान और पृष्ठभूमि के छात्रों के लिए समान कल्याण के अवसर।
अन्य नवीनतम पुस्तकें:-
- जनता की कहानी – मेरी आत्मकथा का विमोचन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किया।
- Jammu-Kashmir and Ladakh Through the Ages पुस्तक का विमोचन अमित शाह ने किया
- The Unyielding Judge: The Life and Legacy of Justice A.N. Grover का विमोचन
- “माय बिलवेड लाइफ” नाम से एक नई किताब अमिताव कुमार ने लिखी है।
- स्पीकिंग विद नेचर: द ओरिजिन्स ऑफ इंडियन एनवायरनमेंटलिज्म रामचंद्र गुहा द्वारा लिखित