Surya Grahan 2026: जानिए कब लगेगा सूर्य ग्रहण और इसका ज्योतिषीय महत्व

Surya Grahan 2026 :- साल 2026 में दो सूर्य ग्रहण लगेंगे। पहला सूर्य ग्रहण 17 फरवरी 2026 को वलयाकार (Annular Solar Eclipse) के रूप में होगा, जबकि दूसरा ग्रहण 12 अगस्त 2026 को पूर्ण (Total Solar Eclipse) के रूप में दिखाई देगा। हालांकि, इन दोनों ग्रहणों में से कोई भी भारत में दिखाई नहीं देगा। फरवरी का ग्रहण मुख्यतः अंटार्कटिका और दक्षिणी अटलांटिक क्षेत्रों में देखा जा सकेगा, जबकि अगस्त का पूर्ण सूर्य ग्रहण ग्रीनलैंड, आइसलैंड, स्पेन और उत्तर अटलांटिक क्षेत्रों में नजर आएगा।

भारत में सूर्य ग्रहण का अगला अच्छा दृश्य अवसर 21 मई 2031 को मिलेगा। इसलिए 2026 में भारतवासी केवल वैज्ञानिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से ही सूर्य ग्रहण की जानकारी ले पाएंगे, प्रत्यक्ष रूप से इसका दर्शन नहीं कर सकेंगे।

2026 में दो मुख्य सूर्य ग्रहण होंगे:-

  • 17 फ़रवरी 2026: वलयाकार (annular) सूर्य ग्रहण।
  • 12 अगस्त 2026: पूर्ण (total) सूर्य ग्रहण।

सूर्य ग्रहण क्या है?

एक एस्ट्रोनॉमिकल घटना है जो तब होती है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुज़रता है। इस स्थिति में, चंद्रमा सूर्य की रोशनी को आंशिक रूप से या पूरी तरह से ब्लॉक कर देता है, जिससे कुछ समय के लिए सूर्य पृथ्वी से दिखाई नहीं देता।

सूर्य ग्रहण की प्रक्रिया :-

  • सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में आ जाते हैं।
  • चंद्रमा सूर्य की किरणों को पृथ्वी तक पहुँचने से रोक देता है।
  • यही स्थिति सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) कहलाती है।

Types of solar eclipse ( सूर्य ग्रहण के प्रकार ) :-

  • पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total Solar Eclipse) :- जब चंद्रमा पूरी तरह सूर्य को ढक लेता है।
  • वलयाकार सूर्य ग्रहण (Annular Solar Eclipse) :- जब चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह नहीं ढक पाता और चारों ओर आग की अंगूठी (Ring of Fire) जैसी आकृति बनती है।
  • आंशिक सूर्य ग्रहण (Partial Solar Eclipse) :- जब चंद्रमा केवल सूर्य का कुछ भाग ही ढकता है।

ज्योतिषीय महत्व :-

  • ज्योतिष के अनुसार, सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य की ऊर्जा अस्थिर हो जाती है।
  • इसका प्रभाव स्वास्थ्य, मनोस्थिति और राशियों पर माना जाता है।
  • ग्रहण के समय सूर्य दर्शन वर्जित होता है, और स्नान-दान का विशेष महत्व बताया गया है।

सूर्य ग्रहण में क्या करें (What to Do During Solar Eclipse :-

  • ग्रहण के दौरान मंत्र जाप करें — विशेषकर “ॐ नमः शिवाय” या “गायत्री मंत्र” का जाप शुभ माना जाता है।
  • ग्रहण के समय पूजा-पाठ या ध्यान करें, क्योंकि यह समय आध्यात्मिक रूप से शक्तिशाली माना जाता है।
  • तुलसी के पत्ते खाने की वस्तुओं (दूध, दही, पानी आदि) में डाल दें ताकि वे दूषित न हों।
  • ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करें, इसे शुद्धिकरण माना जाता है।
  • दान-पुण्य करें, विशेषकर ग्रहण समाप्ति के बाद अन्न, वस्त्र या धन का दान शुभ होता है।
  • धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें या ईश्वर का ध्यान करें।

क्या न करें :-

  • ग्रहण को बिना सुरक्षा चश्मे के न देखें, इससे आँखों को गंभीर नुकसान हो सकता है।
  • ग्रहण के दौरान भोजन न करें, इसे हानिकारक और अपवित्र माना जाता है।
  • गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान बाहर नहीं निकलना चाहिए, माना जाता है कि इसका नकारात्मक प्रभाव हो सकता है।
  • कपड़े या बर्तन साफ न करें, यह समय अशुभ माना जाता है।
  • ग्रहण के दौरान सोना वर्जित है, इसे आलस्य और नकारात्मक ऊर्जा से जुड़ा माना जाता है।
  • ग्रहण को सीधे कैमरा, मोबाइल या टेलीस्कोप से न देखें, क्योंकि इससे भी आँखों को हानि पहुंच सकती है।

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