PMMSY: भारत को मत्स्य निर्यात का वैश्विक केंद्र बनाने की दिशा में बड़ा कदम

प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) वर्ष 2020-21 में मत्स्य उत्पादन में वृद्धि, मछुआरों की आय दोगुनी करने, रोजगार सृजन, बुनियादी ढाँचे के विकास और भारत को मत्स्य निर्यात का वैश्विक केंद्र बनाने के मुख्य उद्देश्य से शुरू की गई थी। पाँच वर्षों की अवधि में इस योजना ने उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं। मत्स्य उत्पादन में लगभग 22-23 % की वृद्धि हुई और देश का कुल उत्पादन 175 लाख टन से बढ़कर 215 लाख टन से अधिक हो गया।

भारत अब दुनिया का चौथा सबसे बड़ा मछली उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा जलीय कृषि उत्पादक बन गया है। निर्यात के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है और भारत समुद्री उत्पादों से प्रति वर्ष लगभग 8-9 बिलियन अमेरिकी डॉलर की विदेशी मुद्रा अर्जित कर रहा है। इस योजना के अंतर्गत लगभग 55 से 60 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला, जिससे ग्रामीण और तटीय क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था को नई मजबूती मिली।

बुनियादी ढाँचे के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय परिवर्तन देखने को मिले हैं। पाँच वर्षों में, 900 से अधिक मत्स्य बीज हैचरी, 1000 से अधिक कोल्ड स्टोरेज एवं प्रसंस्करण इकाइयाँ तथा आधुनिक मत्स्य बाज़ार विकसित किए गए। ई-सांता और फिश कॉप जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म ने मछुआरों को पारदर्शी और तीव्र विपणन की सुविधा प्रदान की। मछुआरों के लिए सामाजिक सुरक्षा कवर को भी मज़बूत किया गया है, जिसमें बीमा योजनाओं, आवास और स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार शामिल है। इसने न केवल ग्रामीण रोज़गार और पोषण सुरक्षा में सुधार किया है, बल्कि कृषि सकल घरेलू उत्पाद में मत्स्य पालन क्षेत्र का योगदान 7% से अधिक हो गया है।

प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) : पाँच वर्ष (2020–2025) :-

उद्देश्य :-

  • मत्स्य उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि
  • मत्स्य अवसंरचना का विकास (हैचरी, कोल्ड स्टोरेज, प्रोसेसिंग यूनिट)
  • निर्यात क्षमता बढ़ाना
  • रोजगार सृजन
  • मछुआरों की आय और सामाजिक सुरक्षा में सुधार

प्रमुख उपलब्धियाँ (5 वर्षों में) :-

  • मत्स्य उत्पादन वृद्धि
    • उत्पादन 175 लाख टन से बढ़कर 215+ लाख टन।
    • लगभग 22–23% वृद्धि।
  • निर्यात
    • समुद्री उत्पादों से 8–9 बिलियन डॉलर वार्षिक विदेशी मुद्रा अर्जन।
    • भारत विश्व का 4th सबसे बड़ा मत्स्य उत्पादक और 2nd सबसे बड़ा जलीय कृषि उत्पादक।
  • रोजगार सृजन
    • लगभग 55–60 लाख प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार अवसर।
  • अवसंरचना विकास
    • 900+ हैचरी,
    • 1000+ कोल्ड स्टोरेज और प्रोसेसिंग यूनिट,
    • आधुनिक मत्स्य बाजार और डिजिटल प्लेटफॉर्म (e-SANTA, FISH COP)।
  • सामाजिक सुरक्षा
    • मछुआरों हेतु बीमा योजनाएँ, आवास और स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार।
  • तकनीकी नवाचार
    • रोग-प्रतिरोधी मत्स्य बीज,
    • जलीय कृषि क्लस्टर मॉडल,
    • डिजिटल फिश मार्केटिंग।

PMMSY (2020–2025) उपलब्धियाँ और प्रभाव :-

वर्षप्रमुख उपलब्धियाँप्रभाव / परिणाम
2020-21 (शुरुआत)– योजना का शुभारंभ (₹20,050 करोड़ बजट)
– हैचरी, कोल्ड स्टोरेज की नींव
– मत्स्य पालन को संगठित दिशा मिली
– रोजगार और निर्यात बढ़ाने की रूपरेखा बनी
2021-22– उत्पादन ~185 लाख टन
– e-SANTA प्लेटफॉर्म लॉन्च
– मछुआरों को डिजिटल मार्केटिंग सुविधा
– ग्रामीण अर्थव्यवस्था में योगदान
2022-23– उत्पादन ~195 लाख टन
– 400+ हैचरी और 500+ कोल्ड स्टोरेज स्थापित
– मत्स्य बीज की उपलब्धता बढ़ी
– भंडारण व निर्यात क्षमता मजबूत हुई
2023-24– उत्पादन ~205 लाख टन
– FISH COP प्लेटफॉर्म लॉन्च
– सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का विस्तार
– मछुआरों को बीमा/स्वास्थ्य कवरेज
– आय में वृद्धि और जोखिम में कमी
2024-25 (5 वर्ष पूर्ण)– उत्पादन 215+ लाख टन
– कुल 900+ हैचरी, 1000+ कोल्ड स्टोरेज
– 55–60 लाख रोजगार सृजित
– भारत विश्व का 4th सबसे बड़ा मत्स्य उत्पादक
– 8–9 बिलियन $ निर्यात
– Blue Economy को गति

नवीनतम योजनाएं :-

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *