
Gold Loans पर बड़ा बदलाव: RBI ने LTV सीमा 75% से बढ़ाकर 85% कर दिया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने Gold Loans सेक्टर में एक बड़ा कदम उठाते हुए 2.5 लाख रुपये तक के छोटे-टिकट वाले गोल्ड लोन के लिए LTV (Loan-to-Value) अनुपात को 75% से बढ़ाकर 85% कर दिया है। इसका सीधा फायदा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) को होगा, खास तौर पर मणप्पुरम फाइनेंस और मुथूट फाइनेंस जैसे Gold Loans प्रदाताओं को। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में नकदी की मांग बढ़ रही है और सोने की कीमतों में उछाल के कारण गोल्ड लोन की मांग भी बढ़ी है।
Gold Loans पर बदलाव से अब ग्राहक अपने सोने के आभूषणों के मूल्य का एक बड़ा हिस्सा लोन के तौर पर प्राप्त कर सकेंगे। इससे NBFC की लोन वितरण क्षमता बढ़ेगी और वे अधिक से अधिक ग्राहकों को आकर्षित कर सकेंगे, खास तौर पर उन ग्राहकों को जिन्हें पारंपरिक बैंकों से लोन मिलना मुश्किल लगता है। LTV बढ़ाने से NBFC को अपने पोर्टफोलियो का आकार बढ़ाने, अधिक ब्याज कमाने और बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने का मौका मिलेगा। मुथूट फाइनेंस और मणप्पुरम फाइनेंस जैसी गोल्ड लोन-केंद्रित एनबीएफसी के शेयरों में 4% तक की बढ़ोतरी देखी गई है, जो इस क्षेत्र में संभावित वृद्धि की ओर इशारा करती है।
NBFC सेक्टर को होने वाले लाभ :-
- LTV बढ़ने से ग्राहक अपने सोने के मूल्य का अधिक प्रतिशत ऋण के रूप में प्राप्त कर सकते हैं।
- इससे NBFCs अधिक लोन वितरित कर पाएंगे।
- अधिक लोन वितरित होने से NBFCs की ब्याज से आय (interest income) बढ़ेगी।
- ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों के ग्राहक, जिन्हें बैंकिंग सेवा नहीं मिलती, अब NBFCs की ओर आकर्षित होंगे।
- NBFCs अब बैंकों की तुलना में अधिक प्रतिस्पर्धी दरों और LTV के साथ गोल्ड लोन प्रदान कर सकते हैं।
- सोने की ऊंची कीमतें और अधिक LTV का संयोजन NBFCs के लिए फायदेमंद रहेगा।
- मुथूट फाइनेंस और मणप्पुरम फाइनेंस जैसे NBFCs के शेयरों में 3-4% की वृद्धि दर्ज की गई।
- छोटे किसानों, कारीगरों और कम आय वर्ग के लिए आसान ऋण उपलब्धता सुनिश्चित होती है।
संबंधित जोखिम (Associated Risks) :-
- डिफ़ॉल्ट का खतरा (Risk of Default) :- अधिक लोन लेने से चुकौती में दिक्कत हो सकती है।
- सोने की कीमत में गिरावट (Gold Price Volatility) :- गिरावट से लोन का सुरक्षित मूल्य कम हो सकता है।
- संगठित और असंगठित क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा :- NBFCs को असंगठित क्षेत्र के लोन प्रदाताओं से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है, जो अधिक लचीले और कम ब्याज दरों के साथ ऋण प्रदान करते हैं।
Reserve Bank of India :-
- स्थापना :- 1 अप्रैल 1935
- मुख्यालय :- मुंबई
- प्रारंभिक स्थान :- कोलकाता (1935 में)
- संविधान :- भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934
- प्रमुख उद्देश्य :-
- मुद्रा नियंत्रण
- वित्तीय स्थिरता बनाए रखना
- ऋण नीति का प्रबंधन
- मौजूदा गवर्नर :- संजय मल्होत्रा (11 दिसंबर 2024 से)
- महत्वपूर्ण कार्य :-
- बैंकों का विनियमन
- विदेशी मुद्रा भंडार का प्रबंधन
- सरकार के लिए बैंकिंग सेवाएं प्रदान करना
- सिग्नेचर नोट :- गवर्नर का हस्ताक्षर नोटों पर होता है।
(Non-Banking Financial Companies) NBFCs :-
NBFCs वित्तीय संस्थाएं हैं जो बैंक नहीं हैं, लेकिन बैंक जैसे कार्य करती हैं जैसे उधार देना, निवेश करना, परिसंपत्ति वित्तपोषण आदि। बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के तहत इन्हें बैंक नहीं माना जाता है।
बैंकों और NBFCs में अंतर :-
विषय | बैंक | NBFC |
---|---|---|
जमा स्वीकार करना | हाँ (डिपॉजिट) | कुछ NBFCs (Deposit-Taking) |
चेक सुविधा | हाँ | नहीं |
भुगतान और निपटान प्रणाली | हाँ | नहीं |
CRR / SLR अनिवार्यता | लागू | लागू नहीं (कुछ मामलों को छोड़कर) |
RBI लाइसेंस | आवश्यक | आवश्यक (RBI से रजिस्ट्रेशन) |
NBFCs के प्रकार :-
- Asset Finance Company (AFC)
- Loan Company (LC)
- Investment Company (IC)
- Infrastructure Finance Company (IFC)
- Systemically Important Core Investment Company (CIC-ND-SI)
- Micro Finance Institution (NBFC-MFI)
- Housing Finance Companies (HFC)
- NBFC-Account Aggregator (NBFC-AA)
- Peer-to-Peer Lending Platform (NBFC-P2P)
- NBFC-Factor (फैक्टरिंग सेवाएं देने वाली)
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