Ambubachi Mela 2025: कामाख्या मंदिर में देवी शक्ति के मासिक चक्र की पूजा होती है

Ambubachi Mela 2025: कामाख्या मंदिर में देवी शक्ति के मासिक चक्र की पूजा की जाती है। गुवाहाटी के प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर में 22 जून 2025 से अम्बुबाची मेला शुरू हो गया है। यह मेला हिंदू तांत्रिक परंपरा और देवी पूजा से जुड़ा एक अनूठा उत्सव है, जो देवी कामाख्या के प्राकृतिक मासिक धर्म काल का प्रतीक है। असम के नीलाचल पर्वत पर स्थित कामाख्या मंदिर परिसर में लाखों भक्तों की मौजूदगी में यह चार दिवसीय उत्सव मनाया जाता है।

इस साल यह मेला 22 जून को दोपहर 2:56 बजे देवी के मासिक धर्म शुरू होने के साथ शुरू हुआ, जिसके बाद मंदिर के गर्भगृह को बंद कर दिया गया। यह बंद 3 दिनों तक जारी रहता है, जिसमें देवी को आराम दिया जाता है और कोई पूजा नहीं की जाती है। इस दौरान मंदिर में प्रवेश वर्जित रहता है और ग्रामीण परंपराओं के अनुसार खेती और अन्य शुभ कार्य भी वर्जित रहते हैं।

मंदिर के कपाट 26 जून को सुबह 3:19 बजे निवृत काल के साथ फिर से खुलेंगे, जब देवी को पवित्र स्नान, वस्त्र और श्रृंगार दिया जाता है और फिर भक्तों को दर्शन दिए जाते हैं। इस अवसर पर भक्तों के बीच ‘अंबुबाची वस्त्र‘ नामक एक विशेष लाल कपड़ा वितरित किया जाता है, जिसे देवी के आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है।

पर्यटक :-

अंबुबाची मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह स्त्री शक्ति, उर्वरता और प्रकृति के साथ सामंजस्य का प्रतीक है। इस पावन अवसर पर देश भर से साधु, संन्यासी, तांत्रिक, श्रद्धालु और पर्यटक गुवाहाटी पहुंचते हैं। मेले में स्वास्थ्य, पेयजल, साफ-सफाई और यातायात के लिए प्रशासन की ओर से विशेष व्यवस्था की गई है। गुवाहाटी रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट से लेकर मंदिर तक सभी मार्गों पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।

मान्यता है कि अंबुबाची के समय कामाख्या पीठ की शक्ति जागृत अवस्था में होती है और इस दौरान यहां की गई साधना अत्यंत फलदायी मानी जाती है। यही वजह है कि इस दौरान देश-विदेश से लाखों लोग कामाख्या मंदिर की ओर आकर्षित होते हैं। इस प्रकार, अम्बुबाची मेला न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक अनूठा सांस्कृतिक उत्सव भी है जो स्त्री प्रकृति के जैविक चक्र को देवत्व से जोड़ता है।

Ambubachi Mela 2025 :-

  • स्थान :- कामाख्या देवी मंदिर, नीलांचल पहाड़ी, गुवाहाटी, असम
  • आरंभ तिथि :- 22 जून 2025 को दोपहर 2:56 बजे (प्रवृत्ति प्रारंभ)
  • समापन तिथि :- 26 जून 2025 को सुबह 3:19 बजे (निवृत्ति एवं मंदिर खुलना)
  • उद्देश्य :-
    • देवी कामाख्या के रजस्वला काल को प्राकृतिक चक्र के रूप में सम्मान देना।
    • मातृत्व, उर्वरता और प्रकृति की रचनात्मक ऊर्जा को श्रद्धा पूर्वक पूजना।
    • तांत्रिक साधकों के लिए विशेष साधना काल प्रदान करना।
    • विभिन्न स्थानों से आए श्रद्धालुओं को एक सांस्कृतिक मंच प्रदान करना।
    • मानव और प्रकृति के बीच तालमेल तथा स्त्री शरीर की जैविक प्रक्रिया का सम्मान।
    • असम राज्य और कामाख्या मंदिर को विश्व स्तर पर धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में प्रतिष्ठित करना।
    • मासिक धर्म को अपवित्रता नहीं, बल्कि दिव्यता और सृजन का स्रोत मानने की भावना को प्रसारित करना।
  • मेला — तिथियाँ और समय :-
    • 22 जून, दोपहर 2:56 PM (प्रवृत्ति): पूजा-पाठ के साथ मंदिर का पवित्र स्नान और अनुष्ठान सम्पन्न हुआ।
    • 22–25 जून: तीन दिनों के लिए मंदिर के गर्भगृह के कपाट बंद होते हैं,
      • क्योंकि देवी कामाख्या को उनके मासिक धर्म चक्र (रजस्वला) में माना जाता है — ये एक दिव्य विश्रामकाल है।
    • 26 जून, सुबह 3:19 AM (निवृत्ति): देवी की शुद्धि स्वीकरण पूर्ण होने पर पूजा शुरू होती है।
    • 26 जून, सुबह 5:00–6:00 AM: मंदिर का शुद्धि स्नान पूरा होकर भक्तों के लिए खुलता है और विशेष दर्शन, प्रसाद वितरण होता है।
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