आचार्य देवव्रत ने महाराष्ट्र के राज्यपाल पद की शपथ ली, मुंबई राजभवन में हुआ भव्य समारोह

गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने 15 सितंबर 2025 को महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह मुंबई स्थित राजभवन में आयोजित किया गया, जहाँ बॉम्बे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। यह नियुक्ति सी. पी. राधाकृष्णन भारत के उपराष्ट्रपति चुने जाने के बाद हुई है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पिछले सप्ताह आचार्य देवव्रत को गुजरात के साथ-साथ महाराष्ट्र का भी अतिरिक्त प्रभार सौंपा था।

आचार्य देवव्रत, जो पहले गुजरात के राज्यपाल रह चुके हैं, अपने सरल स्वभाव, सामाजिक कार्यों और शिक्षा एवं कृषि में योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं। प्राकृतिक खेती और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों ने उन्हें जनता के बीच एक सुलभ और लोकप्रिय व्यक्तित्व बना दिया है। अब, महाराष्ट्र में उनके नेतृत्व से सुशासन, सामाजिक विकास और शिक्षा एवं कृषि क्षेत्रों में नई ऊर्जा आने की उम्मीद है।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 153 के अनुसार, प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल होगा, लेकिन एक ही व्यक्ति को दो या अधिक राज्यों का राज्यपाल नियुक्त किया जा सकता है। इस प्रावधान के तहत, राष्ट्रपति किसी मौजूदा राज्यपाल को अतिरिक्त प्रभार सौंप सकते हैं। ये नियुक्तियाँ राष्ट्रपति द्वारा केंद्रीय मंत्रिमंडल की सलाह पर की जाती हैं। हाल के वर्षों में इस प्रथा का कई बार उपयोग किया गया है, जैसे कि जब केरल के राज्यपाल को अस्थायी रूप से तमिलनाडु का प्रभार सौंपा गया था।

आचार्य देवव्रत की पृष्ठभूमि और योगदान :-

  • जन्म और शिक्षा :– आचार्य देवव्रत का जन्म हरियाणा में हुआ और उन्होंने पारंपरिक शिक्षा के साथ-साथ वैदिक अध्ययन किया।
  • सामाजिक कार्य :– शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय रहे हैं।
  • प्राकृतिक खेती के प्रणेता :– उन्होंने रासायनिक खेती की जगह प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास किए और किसानों को प्रेरित किया।
  • गुजरात के राज्यपाल :– महाराष्ट्र से पहले वे गुजरात के राज्यपाल रहे, जहाँ उन्होंने कृषि और शिक्षा क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया।
  • सरल जीवन शैली :– अपने सादगीपूर्ण व्यक्तित्व और जनकल्याणकारी दृष्टिकोण के कारण जनता में लोकप्रिय हैं।
  • शैक्षिक सुधार :– शिक्षा की गुणवत्ता और नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने कई कदम उठाए।
  • जनकल्याणकारी दृष्टिकोण :– हमेशा समाज, युवाओं और किसानों के विकास पर ध्यान केंद्रित किया।

महत्वपूर्ण बिंदु :-

  • आचार्य देवव्रत ने 15 सितंबर, 2025 को महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में शपथ ली।
  • वे गुजरात के राज्यपाल के रूप में कार्य करते रहेंगे और अब दोहरी ज़िम्मेदारियाँ संभालेंगे।
  • सी.पी. राधाकृष्णन ने उपराष्ट्रपति चुने जाने के बाद इस्तीफा दे दिया।
  • बंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर ने उन्हें शपथ दिलाई।
  • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अनुच्छेद 153 के तहत उनकी नियुक्ति की।

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