गज मित्र योजना असम में मानव-हाथी संघर्ष को कम करेगी और सुरक्षा बढ़ाएगी

गज मित्र योजना : असम ने हाथियों की सुरक्षा के लिए ‘गज मित्र‘ योजना शुरू की है, जिसका उद्देश्य मनुष्यों और हाथियों के बीच बढ़ते संघर्ष को कम करना और हाथियों का संरक्षण सुनिश्चित करना है। यह योजना उन क्षेत्रों में लागू की जा रही है जहाँ हाथियों और ग्रामीणों के बीच संघर्ष की घटनाएँ अक्सर सामने आती रहती हैं। इस योजना के तहत, असम के आठ जिलों के 80 संघर्ष-प्रवण गाँवों (हॉटस्पॉट) में स्थानीय समुदाय के लोगों को शामिल करके ‘गज मित्र’ दल बनाए गए हैं। प्रत्येक दल में 8 प्रशिक्षित स्थानीय सदस्य होंगे, जो मुख्यतः कटाई के मौसम में छह महीने तक सक्रिय रहेंगे।

इन ‘गज मित्रों’ का काम हाथियों की गतिविधियों पर नज़र रखना, गाँवों को समय पर अलर्ट देना और वन विभाग के साथ समन्वय करना होगा। इस योजना के तहत, जंगलों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) से लैस कैमरा ट्रैप भी लगाए जाएँगे, जो हाथियों की गतिविधियों पर नज़र रखेंगे और वास्तविक समय में चेतावनी भेजेंगे। इसके अलावा, हाथियों को जंगलों में ही रखने के लिए उनके पसंदीदा पौधे जैसे नेपियर घास और बाँस लगाए जाएँगे ताकि वे भोजन की तलाश में खेतों में आकर गाँवों की ओर न जाएँ।

यह योजना न केवल हाथियों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है, बल्कि ग्रामीणों की फसलों और जीवन की भी रक्षा करती है। असम सरकार की यह पहल तकनीक, पारिस्थितिक जागरूकता और सामुदायिक भागीदारी का एक बेहतरीन उदाहरण है, जो लंबे समय में मानव-हाथी संघर्ष को कम करने में मदद करेगी।

गज मित्र योजना की आवश्यकता क्यों पड़ी :-

  • बढ़ता मानव–हाथी संघर्ष :-
    • असम में हाथियों के जंगलों से बाहर आकर गांवों और खेतों में घुसने की घटनाएं लगातार बढ़ रही थीं, जिससे जान-माल का नुकसान हो रहा था।
  • मानव मृत्यु और घायल होने की घटनाएं :-
    • वर्ष 2000 से 2023 तक असम में 1,400+ लोग हाथियों के हमले में मारे गए या घायल हुए।
  • हाथियों की असामयिक मौतें :-
    • 2000 से 2023 के बीच 1,200+ हाथियों की मौत हुई, जिनमें से कई की मृत्यु करंट, ट्रेन से टकराने या जहरीले पदार्थ खाने से हुई।
  • खेती और फसलों को भारी नुकसान :-
    • हाथी फसलों को नष्ट कर देते हैं, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान और खाद्य संकट होता है।
  • बिजली के करंट से मौतें :-
    • निजी या असुरक्षित बिजली लाइनों के कारण कई हाथियों की जान गई, जिससे वन्यजीव संरक्षण को लेकर चिंता बढ़ी।
  • हाथियों के पारंपरिक मार्गों में अतिक्रमण :-
    • निर्माण कार्यों, खेती और शहरीकरण के कारण हाथियों के कॉरिडोर अवरुद्ध हो गए हैं, जिससे वे रास्ता भटककर रिहायशी इलाकों में पहुंच जाते हैं।
  • हाथी व्यवहार को लेकर जानकारी की कमी :-
    • ग्रामीणों को हाथियों के व्यवहार और उनके रोकथाम के उपायों की पर्याप्त जानकारी नहीं थी, जिससे संघर्ष और बढ़ गया।
  • स्थानीय समुदाय की भागीदारी की कमी :-
    • वन विभाग अकेले संघर्ष नहीं रोक पा रहा था, इसलिए समुदाय को शामिल करना जरूरी हो गया।
  • तकनीक का अभाव :-
    • हाथियों की गतिविधियों की निगरानी के लिए AI, कैमरा ट्रैप आदि की जरूरत महसूस की जा रही थी, जो पहले नहीं थी।
  • जंगलों में भोजन की कमी :-
    • जंगलों में प्राकृतिक भोजन की कमी के कारण हाथी मानव बस्तियों की ओर आकर्षित होने लगे।

असम की नवीनतम योजनाएं :-

  • गज मित्र योजना :-
    • मानव-हाथी संघर्ष को रोकने के लिए 8 जिलों में 80 “हॉट स्पॉट” शामिल किए गए हैं।
    • जंगलों में नेपियर घास और बाँस की खेती, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) कैमरा ट्रैप और सामुदायिक निगरानी दल का गठन।
  • Stop Diarrhoea Campaign 2025 :-
    • जुलाई-अगस्त में दस्त की रोकथाम के लिए जागरूकता अभियान।
    • 0-5 वर्ष की आयु के बच्चों को घर-घर जाकर ओआरएस और जिंक की गोलियाँ वितरित की जा रही हैं।
  • स्वास्थ्य-केयर SOP और नियमन :-
    • सरकारी और निजी अस्पतालों के लिए मृत्यु प्रमाण पत्र मिलने के 2 घंटे के भीतर शव को सौंपने की अनिवार्य प्रक्रिया लागू।
  • जमीनी पुनःअधिग्रहण अभियान :-
    • पिछले 4 वर्षों में 25,000 एकड़ से अधिक भूमि का पुनर्ग्रहण; काजीरंगा क्षेत्र में मानव-हाथी संघर्ष में कमी।
  • बाढ़ राहत सहायता :-
    • केंद्र सरकार ने असम सहित छह राज्यों को ₹1,066.80 करोड़ की सहायता स्वीकृत की है।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण योजना :-
    • ₹25,000 करोड़ के निवेश से राज्य में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को बढ़ावा देने की पहल; रोजगार और बुनियादी ढाँचे पर ध्यान केंद्रित।
  • पीएमएवाई-जी ग्रामीण आवास योजना :-
    • 3.76 लाख अतिरिक्त ग्रामीण आवासों को मंजूरी, “लखीमी मिस्त्री” कार्यक्रम के माध्यम से महिला कारीगरों को प्रशिक्षण।

नवीनतम योजनाएं :-

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *