
भारत में हर साल 29 जून को राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस मनाया जाता है। यह दिन प्रसिद्ध भारतीय सांख्यिकीविद् प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस की जयंती को समर्पित है, जिन्होंने भारत में सांख्यिकी विज्ञान को एक ठोस आधार प्रदान किया। भारत सरकार ने वर्ष 2007 में घोषणा की थी कि 29 जून को राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस के रूप में मनाया जाएगा, ताकि समाज में सांख्यिकी के महत्व और प्रो. महालनोबिस के योगदान को जनता तक पहुँचाया जा सके। यह दिन नीति-निर्माण, योजना और प्रशासन में सांख्यिकी की भूमिका को रेखांकित करता है, जिससे विकासशील देशों में डेटा-संचालित निर्णयों को मजबूती मिलती है। वर्ष 2025 के लिए इस दिवस का विषय था – “निर्णय लेने के लिए डेटा का उपयोग करना”, जो वर्तमान युग में डेटा-संचालित दृष्टिकोण की अनिवार्यता को दर्शाता है।
प्रो. महालनोबिस को भारत में आधुनिक सांख्यिकी के जनक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने Indian Statistical Institute (ISI) की स्थापना की और National Sample Survey (NSS) की नींव रखी, जिससे देश में विश्वसनीय डेटा के संग्रह और विश्लेषण का मार्ग प्रशस्त हुआ। उन्होंने ‘Mahalanobis Distance‘ नामक एक सांख्यिकीय सिद्धांत भी विकसित किया, जिसका उपयोग आज भी डेटा विज्ञान और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे आधुनिक क्षेत्रों में किया जाता है। इसके अलावा वह योजना आयोग के सदस्य भी थे और द्वितीय पंचवर्षीय योजना के पीछे उनके विचारों की महत्वपूर्ण भूमिका थी।
प्रो. पी. सी. महालनोबिस के प्रमुख योगदान :-
- भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI) की स्थापना – 1931 में कोलकाता में हुई, जो आज विश्वस्तरीय सांख्यिकीय शोध संस्थान है।
- राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (NSS) की शुरुआत – 1950 में हुई, जिससे भारत में सामाजिक और आर्थिक आंकड़ों का वैज्ञानिक संग्रह संभव हुआ।
- ‘महालनोबिस डिस्टेंस’ की खोज – यह सांख्यिकी का एक प्रसिद्ध गणितीय सूत्र है, जिसका उपयोग डेटा विश्लेषण, मशीन लर्निंग और क्लस्टरिंग में किया जाता है।
- द्वितीय पंचवर्षीय योजना (1956-1961) के निर्माता – भारत में औद्योगीकरण और सार्वजनिक क्षेत्र के विकास पर आधारित योजना बनाई।
- योजना आयोग के स्थायी सदस्य – स्वतंत्र भारत की आर्थिक नीतियों और योजनाओं के निर्माण में योगदान दिया।
- भारत की सांख्यिकी प्रणाली का आधुनिकीकरण – डेटा संग्रह और विश्लेषण के आधुनिक तरीकों को लागू किया।
- शिक्षा में योगदान – विश्वविद्यालय स्तर पर सांख्यिकी को एक मुख्य विषय के रूप में स्थापित किया।
- अंतरराष्ट्रीय मान्यता – संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी आयोग और रॉयल सोसाइटी (एफआरएस) के सदस्य बने।
- पद्म विभूषण पुरस्कार (1968) – विज्ञान और सांख्यिकी में उत्कृष्ट योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा सम्मानित।
- डेटा-आधारित नीति निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया – उन्होंने साबित किया कि नियोजन और निर्णयों में वैज्ञानिक डेटा आवश्यक है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस के उद्देश्य :-
- सांख्यिकी के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना
- नीति निर्माण में डेटा के महत्व पर प्रकाश डालना
- युवाओं को सांख्यिकी में करियर बनाने के लिए प्रेरित करना
- प्रो. पी.सी. महालनोबिस के योगदान का सम्मान करना
- सरकारी सांख्यिकी प्रणाली को मजबूत बनाना
राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस का महत्व :-
- आधुनिक भारत के विकास में आंकड़ों की भूमिका को रेखांकित करता है।
- नवाचार, तकनीक और रिसर्च को सांख्यिकीय पद्धति से जोड़ता है।
- डिजिटल युग में डेटा-साक्षरता को बढ़ावा देता है।
- सांख्यिकी को केवल एक शैक्षणिक विषय नहीं बल्कि नीति-निर्धारण का औजार मानता है।
- राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के बीच सांख्यिकीय सहयोग को प्रोत्साहित करता है।