जलवाहक योजना सरकार ने अंतर्देशीय जलमार्गों पर माल परिवहन को बढ़ावा देने के लिए शुरू की

जलवाहक योजना सरकार ने अंतर्देशीय जलमार्गों पर माल परिवहन को बढ़ावा देने के लिए शुरू की है। जिसका उद्देश्य सस्ते, पर्यावरण अनुकूल और कुशल परिवहन विकल्प उपलब्ध कराना है। यह योजना राष्ट्रीय जलमार्गों के विकास और उनकी क्षमता बढ़ाने पर केंद्रित है। इस योजना का उद्देश्य सड़क और रेल नेटवर्क पर भार कम करना और टिकाऊ परिवहन को बढ़ावा देना है। 300 किलोमीटर से अधिक दूरी के लिए जलमार्गों पर माल परिवहन के लिए प्रत्यक्ष प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा।

केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल द्वारा शुरू की गई जलवाक योजना राष्ट्रीय जलमार्ग 1 (गंगा), 2 (ब्रह्मपुत्र) और 16 (बराक) को कवर करती है। यह योजना कार्गो मालिकों को परिचालन लागत का 35% तक प्रतिपूर्ति प्रदान करती है, जिससे जलमार्ग परिवहन एक किफायती और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प बन जाता है। यह पहल भारत के 20,236 किलोमीटर लंबे अंतर्देशीय जलमार्ग नेटवर्क की क्षमता को उजागर करने के व्यापक प्रयास का हिस्सा है, जिसका अमेरिका और चीन जैसे वैश्विक नेताओं की तुलना में कम उपयोग किया गया है।

योजना का उद्देश्य :-

  • सड़क और रेल परिवहन की तुलना में जल परिवहन अधिक किफायती है।
  • यह उद्योगों की उत्पादन लागत को कम करने में मदद करेगा।
  • जलमार्ग परिवहन से ईंधन की खपत कम होती है, जिससे कार्बन उत्सर्जन घटता है।
  • बढ़ती आबादी और उद्योगों के कारण सड़क और रेल नेटवर्क पर बढ़ते दबाव को कम करने का प्रयास।
  • जलमार्गों से जुड़ी आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
  • बंदरगाहों, गोदामों और नौवहन सेवाओं से रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

योजना की मुख्य विशेषताएं:-

  • देश में 111 राष्ट्रीय जलमार्गों को विकसित किया जाएगा।
  • इन जलमार्गों में प्रमुख नदियों और उनकी सहायक नदियों को शामिल किया गया है।
  • गंगा नदी पर जल विकास मार्ग-1 परियोजना (Varanasi to Haldia): यह परियोजना गंगा नदी के जरिए उत्तर भारत को पूर्वी भारत से जोड़ेगी।
  • ब्रह्मपुत्र, गोदावरी, कृष्णा, और नर्मदा जैसी अन्य प्रमुख नदियों पर काम।
  • जलमार्गों पर माल ढुलाई की योजना और निगरानी के लिए डिजिटलीकरण को बढ़ावा।
  • कार्गो डेटा प्रबंधन प्रणाली (Cargo Data Management System) का उपयोग।
  • आधुनिक बंदरगाह, टर्मिनल, जलपोत, और नहरें बनाई जाएंगी।
  • टर्मिनलों को मल्टी-मॉडल परिवहन केंद्रों के रूप में विकसित किया जाएगा।
  • पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) के तहत निजी कंपनियों को निवेश और संचालन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है।

जलवाहक योजना के लाभ:-

  • जलमार्ग परिवहन की लागत सड़क और रेल परिवहन से लगभग 60-80% तक कम है।
  • जलमार्ग पर माल ढुलाई से प्रति टन-किलोमीटर ऊर्जा खपत अन्य माध्यमों की तुलना में कम है।
  • प्रदूषण और सड़क पर ट्रैफिक जाम कम होगा।
  • जलमार्गों को बंदरगाहों से जोड़ने से आयात-निर्यात आसान होगा।

चुनौतियां:-

  • टर्मिनल और इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण के लिए पर्याप्त भूमि का अधिग्रहण।
  • मालवाहक जहाजों के लिए आवश्यक गहराई (ड्राफ्ट) बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है।
  • मानसून और अन्य मौसमी कारणों से जलमार्गों का उपयोग अनियमित हो सकता है।
  • जलमार्ग निर्माण और रखरखाव से नदियों की जैव विविधता प्रभावित हो सकती है।

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