
बांके बिहारी कॉरिडोर उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के वृंदावन में स्थित प्रसिद्ध श्री बांके बिहारी मंदिर के चारों ओर विकसित किया जा रहा एक भव्य और आधुनिक कॉरिडोर प्रोजेक्ट है। इसका उद्देश्य मंदिर में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं, सुरक्षा और दर्शन व्यवस्था उपलब्ध कराना है। यह प्रोजेक्ट वाराणसी के काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर तैयार किया जा रहा है और करीब 5 एकड़ क्षेत्र में फैला होगा। इसमें दो मंजिला संरचना बनाई जाएगी जिसमें श्रद्धालुओं के लिए प्रतीक्षालय, जूता-घर, शौचालय, शौचालय, पेयजल, चिकित्सा सुविधा, चाइल्ड केयर सेंटर, पूजन सामग्री की दुकानें आदि सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी।
इस कॉरिडोर से एक बार में 5000 श्रद्धालु मंदिर में दर्शन कर सकेंगे, जबकि वर्तमान में यह संख्या करीब 800 तक सीमित है। श्रद्धालु तीन मुख्य मार्गों जुगल घाट, विद्यापीठ चौराहा और जादौन पार्किंग से सीधे मंदिर परिसर में प्रवेश कर सकेंगे। मंदिर के चारों ओर करीब 900 वर्ग मीटर का परिक्रमा पथ भी विकसित किया जाएगा। इस परियोजना की अनुमानित लागत करीब 500 करोड़ रुपये है और इसके प्रबंधन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने ‘श्री बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट‘ का गठन किया है। हालांकि, इस परियोजना को कुछ स्थानीय लोगों और मंदिर के पारंपरिक गोस्वामी परिवारों की ओर से विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है, जिनका मानना है कि इससे वृंदावन की प्राचीन संस्कृति, गलियां और पारंपरिक पूजा पद्धति प्रभावित होगी। इसके बावजूद सरकार का दावा है कि सारा काम पुजारियों और स्थानीय समुदाय की सहमति से किया जाएगा।
कॉरिडोर की विशेषताएँ :-
- क्षेत्रफल और संरचना :- यह कॉरिडोर लगभग 5 एकड़ क्षेत्र में फैला होगा और दो मंजिला होगा।
- दर्शन क्षमता :- मंदिर में एक बार में 800 की बजाय 5,000 श्रद्धालुओं के दर्शन की व्यवस्था होगी।
- मुख्य प्रवेश मार्ग :- तीन प्रमुख मार्गों से श्रद्धालु मंदिर तक पहुँच सकेंगे: जुगल घाट, विद्यापीठ चौराहा, और जादौन पार्किंग।
- सुविधाएँ :- कॉरिडोर में जूता घर, सामान घर, प्रतीक्षालय, पीने का पानी, प्रसाधन, चिकित्सा सुविधा, बच्चों की देखभाल, पूजा सामग्री की दुकानें, और शौचालय जैसी सुविधाएँ प्रदान की जाएँगी।
- परिक्रमा पथ :- मंदिर के चारों ओर 900 वर्ग मीटर का परिक्रमा पथ भी विकसित किया जाएगा।
- हरियाली और सजावट :- कॉरिडोर में श्री कृष्ण कालीन पौधों जैसे कदंब, बरगद, पीपल आदि लगाए जाएँगे, जिससे वातावरण में आध्यात्मिकता और हरियाली का समावेश होगा।
बांके बिहारी कॉरिडोर का उद्देश्य :-
- श्रद्धालुओं की सुविधा :- भीड़भाड़ से राहत दिलाकर दर्शन को आसान और व्यवस्थित बनाना।
- सुरक्षा व्यवस्था में सुधार :- आपात स्थितियों में निकासी (evacuation) और भीड़ नियंत्रण को सक्षम बनाना।
- आधुनिक सुविधाओं का विकास :- शौचालय, पेयजल, प्रतीक्षालय, चिकित्सा, जूता-घर, सामान घर आदि की व्यवस्था।
- धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना :- वृंदावन को वैश्विक धार्मिक पर्यटन मानचित्र पर मजबूत करना।
- श्रीकृष्णकालीन वातावरण का पुनर्निर्माण :- कदंब, पीपल जैसे पवित्र वृक्ष लगाकर आध्यात्मिक अनुभव को गहराना।
- प्राचीन गलियों का पुनरुद्धार :- मंदिर के आसपास के रास्तों को चौड़ा और सुंदर बनाना, बिना विरासत को नुकसान पहुँचाए।
- स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना :- व्यापार, होटल, टूरिज्म से जुड़े लोगों को नए अवसर देना।
- भीड़ नियंत्रण :- तीर्थ सीजन में लाखों भक्तों के आगमन को व्यवस्थित करना।
- मंदिर प्रशासन में सुधार :- ट्रस्ट के माध्यम से सुचारु संचालन और आयोजन की व्यवस्था करना।
- पर्यावरण संरक्षण :- हरियाली और स्वच्छता के माध्यम से मंदिर क्षेत्र को प्रदूषण मुक्त बनाना।
विवाद और चिंताएँ :-
- स्थानीय निवासियों और पुजारियों को डर है कि भूमि अधिग्रहण से पुरानी इमारतों, घरों और छोटे व्यवसायों पर असर पड़ सकता है
- वृंदावन की पारंपरिक धार्मिक भावना और सांस्कृतिक चरित्र को बनाए रखने के बारे में चिंताएँ जताई गई हैं
- मंदिरों और विरासत संरचनाओं की रक्षा के लिए कानूनी याचिकाएँ और जन आंदोलन भी हुए हैं।
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