
भारतीय बैडमिंटन को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाने वाली युवा जोड़ी तन्वी शर्मा और वेन्नाला कृष्णा ने अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन प्रतियोगिता में महिला युगल वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। इन दोनों खिलाड़ियों ने अपने अद्भुत समन्वय, तेज़ गति और रणनीतिक खेल से दर्शकों और विशेषज्ञों को प्रभावित किया। उन्होंने टूर्नामेंट के हर दौर में आत्मविश्वास और सटीकता के साथ खेलते हुए अपने प्रतिद्वंद्वियों को हराया। फाइनल मुकाबले में तन्वी और वेन्नाला ने शानदार प्रदर्शन किया और सीधे सेटों में जीत हासिल कर देश के लिए स्वर्ण पदक पक्का किया।
यह जीत सिर्फ़ एक पदक नहीं, बल्कि भारतीय महिला बैडमिंटन की नई ऊर्जा और उम्मीद का प्रतीक है। दोनों खिलाड़ियों ने कड़े अभ्यास, अनुशासन और समर्पण के बल पर यह मुकाम हासिल किया है। उनकी सफलता ने दिखा दिया है कि भारत की युवा पीढ़ी में विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने की पूरी क्षमता है। इस गौरवपूर्ण उपलब्धि ने न केवल देश का नाम रोशन किया है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनी है। तन्वी और वेन्नाला की यह स्वर्णिम जीत भारत के खेल इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ने वाली है।
तन्वी शर्मा का स्वर्णिम सफ़र :-
- टूर्नामेंट में दूसरी वरीयता प्राप्त और जूनियर विश्व नंबर 1 तन्वी शर्मा ने क्वार्टर फाइनल में इंडोनेशिया की थलिथा रामधनी विर्यावान को सीधे गेमों में 21-19, 21-14 से हराकर शानदार प्रदर्शन किया।
- इससे पहले, तन्वी ने चीन की शी सी चेन और थाईलैंड की फान्चेट पासा-ओर्न जैसी शीर्ष खिलाड़ियों को भी सीधे सेटों में हराया था।
- तन्वी हाल ही में तब चर्चा में आईं जब वह यूएस ओपन 2025 में BWF वर्ल्ड टूर इवेंट की सबसे कम उम्र की भारतीय फाइनलिस्ट बनीं।
वेन्नला की ऐतिहासिक उपलब्धि :-
- विश्व की 103वें नंबर की खिलाड़ी वेन्नाला कालागोटला ने थाईलैंड की जन्यापोर्न मीपंथोंग को तीन गेमों के रोमांचक मुकाबले में 21-18, 17-21, 21-17 से हराया।
- इससे पहले, उन्होंने मलेशिया की लार ची इंग और चीनी ताइपे की वेन शु-यू जैसी खिलाड़ियों को कड़े मुकाबलों में हराया था।
- लंबी रैलियों में वेन्नाला की दृढ़ता और संयम अंतरराष्ट्रीय मंच पर उनकी बढ़ती ताकत का प्रमाण था।
भारत की बीते वर्षों की सफलता :-
- 2011 में, भारत ने पीवी सिंधु के कांस्य और समीर वर्मा के रजत सहित तीन पदक जीते।
- 2012 में, सिंधु ने इस प्रतियोगिता में भारत का पहला स्वर्ण पदक जीता।
- लक्ष्य सेन ने 2018 में दूसरा स्वर्ण पदक जीता।
- हालाँकि व्यक्तिगत सफलताएँ पहले भी मिली हैं, भारत ने 2025 में महिला एकल वर्ग में दो पदक जीतकर एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाया है।
बैडमिंटन :-
- खेल का प्रारंभ :- बैडमिंटन की शुरुआत भारत में ‘Poona’ नाम से मानी जाती है, जिसे ब्रिटिश सैनिक इंग्लैंड ले गए।
- आधिकारिक नामकरण :- इस खेल को “बैडमिंटन” नाम इंग्लैंड के ड्यूक ऑफ ब्यूफोर्ट के बैडमिंटन हाउस से मिला।
- वर्ल्ड गवर्निंग बॉडी :- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बैडमिंटन का संचालन BWF (Badminton World Federation) करती है।
- स्थापना – 1934 में। मुख्यालय – कुआलालंपुर, मलेशिया।
- भारतीय बैडमिंटन संघ :- भारत में इस खेल का संचालन BAI (Badminton Association of India) करती है।
- प्रमुख अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएँ :-
- थॉमस कप – पुरुष टीम चैंपियनशिप
- उबेर कप – महिला टीम चैंपियनशिप
- सुदीरमन कप – मिश्रित टीम प्रतियोगिता
- BWF वर्ल्ड चैंपियनशिप
- ऑल इंग्लैंड ओपन
- ओलंपिक बैडमिंटन प्रतियोगिता
- भारत के प्रमुख बैडमिंटन खिलाड़ी :-
- प्रकाश पदुकोण – पहले भारतीय जिन्होंने ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप (1980) जीती
- पुलेला गोपीचंद – ऑल इंग्लैंड चैंपियन (2001)
- साइना नेहवाल – ओलंपिक कांस्य पदक विजेता (2012)
- पी.वी. सिंधु – रजत (2016), कांस्य (2020) ओलंपिक पदक
- किदांबी श्रीकांत, लक्ष्य सेन, एच.एस. प्रणय – पुरुष बैडमिंटन स्टार्स
- कोर्ट का आकार :-
- एकल के लिए: 13.4m × 5.18m
- युगल के लिए: 13.4m × 6.1m
- शटलकॉक (Shuttlecock):
- 16 पंखों वाला, सामान्यतः– हंस के पंखों से बना होता है। अब सिंथेटिक शटल भी प्रयोग में लाए जाते हैं।
- स्कोरिंग प्रणाली :-
- मैच 3 गेम का होता है
- प्रत्येक गेम 21 अंकों का
- 2 अंकों का अंतर जरूरी
- 30 अंकों पर गेम स्वतः समाप्त हो जाता है
- भारत की ऐतिहासिक उपलब्धियाँ :-
- 2022 में भारत ने पहली बार थॉमस कप जीता
- PV सिंधु – विश्व चैंपियनशिप (2019) में स्वर्ण पदक विजेता
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