
आर्थिक सर्वेक्षण एक वार्षिक दस्तावेज़ है जिसे सरकार केंद्रीय बजट से पहले अर्थव्यवस्था की स्थिति का आकलन करने और इसकी अल्पकालिक से मध्यम अवधि की संभावनाओं का अवलोकन प्रदान करने के लिए प्रस्तुत करती है। वित्त मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था 6.5% से 7% की दर से बढ़ने का अनुमान है, जो मार्च 2025 में समाप्त होगा। इसे मुख्य आर्थिक सलाहकार (वर्तमान में वी. अनंथा नागेश्वरन) की देखरेख में वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के आर्थिक प्रभाग द्वारा तैयार किया जाता है।
अर्थव्यवस्था की स्थिति:-
- वास्तविक GDP वृद्धि :- वित्त वर्ष 2024 में भारत की वास्तविक GDP में 8.2% वृद्धि हुई, जो वित्त वर्ष 24 की चार तिमाहियों में से तीन में 8% के आँकड़े को पार कर गई।
- खुदरा मुद्रास्फीति :- खुदरा मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2023 में 6.7% से घटकर वित्त वर्ष 2024 में 5.4% हो गई।
- चालू खाता घाटा (CAD) :- CAD वित्त वर्ष 2023 में 2.0% से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में GDP का 0.7% हो गया।
- कर राजस्व :- प्रत्यक्ष करों ने कुल कर राजस्व का 55% योगदान दिया, जबकि अप्रत्यक्ष करों ने शेष 45% का योगदान दिया।
- पूंजीगत व्यय :- सरकार ने पूंजीगत व्यय में उत्तरोत्तर वृद्धि की और 81.4 करोड़ लोगों को निशुल्क खाद्यान्न उपलब्ध कराया।
मौद्रिक प्रबंधन और वित्तीय मध्यस्थता:-
- मौद्रिक नीति :- RBI ने पूरे FY 2024 में 6.5% पर स्थिर नीति रेपो दर बनाए रखी।
- ऋण वृद्धि :- अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (SCB) द्वारा ऋण वितरण 164.3 लाख करोड़ रुपए तक पहुँच गया
- जो मार्च 2024 तक 20.2% बढ़ गया।
- बैंकिंग क्षेत्र :- सकल और निवल गैर-निष्पादनकारी परिसंपत्तियाँ कई वर्षों के निचले स्तर पर हैं तथा बैंक परिसंपत्ति की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
- पूंजी बाज़ार :- प्राथमिक पूंजी बाज़ारों ने FY2023 में निजी और सार्वजनिक कॉरपोरेट्स के सकल स्थायी पूंजी निर्माण का लगभग 29%, 10.9 लाख करोड़ रुपए का पूंजी निर्माण किया।
- बीमा और माइक्रोफाइनेंस :- भारत सबसे तेज़ी से बढ़ते बीमा बाज़ारों में से एक बनने की ओर अग्रसर है
- वैश्विक स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र है।
- ब्रॉड मनी (M3) ग्रोथ :- HDFC मर्जर को छोड़कर, 22 मार्च 2024 तक M3 की वृद्धि वर्ष-दर-वर्ष 11.2% रही।
- गैर-निष्पादित संपत्तियां (NPA) :- सकल और शुद्ध NPA कई वर्षों के निचले स्तर पर हैं
- बैंक परिसंपत्तियों की गुणवत्ता में सुधार का संकेत मिलता है।
- कृषि ऋण :- FY24 में कृषि और संबद्ध गतिविधियों में दो अंकों की ऋण वृद्धि देखी गई।
कीमतें और मुद्रास्फीति:-
- खुदरा मुद्रास्फीति :- समय पर नीतिगत हस्तक्षेप के कारण FY 24 में 5.4% पर रही, जो महामारी के बाद सबसे कम है।
- ईंधन की कीमतें :- केंद्र सरकार ने खुदरा ईंधन मुद्रास्फीति को कम रखते हुए एलपीजी, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती की घोषणा की।
- एलपीजी और ईंधन मुद्रास्फीति :- अगस्त 2023 में एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में ₹200 की कमी; पेट्रोल और डीजल की कीमतों में ₹2 प्रति लीटर की कमी।
- मुख्य मुद्रास्फीति :- मुख्य सेवाओं की मुद्रास्फीति 09 साल के निचले स्तर पर आ गई; मुख्य लेखों की मुद्रास्फीति चार साल के निचले स्तर पर पहुँच गई।
- खाद्य मुद्रास्फीति :- कृषि उत्पादन को प्रभावित करने वाली चरम मौसम की घटनाओं के कारण FY23 में 6.6% से बढ़कर FY24 में 7.5% हो गई।
बाह्य/विदेशी क्षेत्र:-
- निर्यात :- FY2024 में भारत का सेवा निर्यात 4.9% बढ़कर 341.1 बिलियन अमेरीकी डॉलर हो गया,
- जिसमें IT/सॉफ्टवेयर और अन्य व्यावसायिक सेवाओं का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।
- प्रेषण :- भारत वर्ष 2023 में कुल 120 बिलियन अमेरीकी डॉलर के प्रेषण के साथ शीर्ष वैश्विक प्राप्तकर्त्ता बना हुआ है।
- बाह्य ऋण :- मार्च 2024 तक भारत का बाह्य ऋण और GDP अनुपात 18.7% था।
- लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन :- विश्व बैंक लॉजिस्टिक्स सूचकांक में भारत की रैंक वर्ष 2014 में 44वें स्थान से बढ़कर वर्ष 2023 में 38वें स्थान पर पहुँच गई।
- पर्यटन :- विश्व पर्यटन प्राप्तियों में भारत की हिस्सेदारी वर्ष 2021 के 1.38% से बढ़कर वर्ष 2022 में 1.58% हो गई है।
मध्यम अवधि का दृष्टिकोण – नए भारत के लिये विकास रणनीति:-
- विकास रणनीति :- 7% से अधिक की विकास दर बनाए रखने के लिए केन्द्र सरकार, राज्य सरकारों और निजी क्षेत्र के बीच त्रिपक्षीय समझौते की आवश्यकता है।
- कौशल एवं रोज़गार सृजन, कृषि, MSME में चुनौतियाँ, हरित ऊर्जा संक्रमण तथा शिक्षा-रोज़गार अंतर को समाप्त करना आदि मध्यम अवधि के विकास के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा संक्रमण:-
- नवीकरणीय ऊर्जा :- मई 2024 तक, गैर-जीवाश्म स्रोतों की स्थापित विद्युत ऊर्जा उत्पादन क्षमता में 45.4% हिस्सेदारी रही।
- ऊर्जा आवश्यकताएँ :- भारत की ऊर्जा आवश्यकताएँ वर्ष 2047 तक 2 से 2.5 गुना बढ़ने का अनुमान है।
- स्वच्छ ऊर्जा में निवेश :- स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में वर्ष 2014 से 2023 के दौरान 8.5 लाख करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित हुआ।
सामाजिक क्षेत्र – लाभ जो सशक्त बनाते हैं:-
- कल्याण व्यय :- FY2018 से FY2024 के दौरान यह 12.8% की CAGR से बढ़ा।
- स्वास्थ्य सेवा :- 34.7 करोड़ से अधिक आयुष्मान भारत कार्ड जारी किये गए हैं।
- आवास :- पिछले 9 वर्षों में PM-AWAS-ग्रामीण के तहत 2.63 करोड़ आवास बनाए गए।
- ग्रामीण बुनियादी ढाँचा :- सत्र 2014-15 से ग्राम सड़क योजना के तहत 15.14 लाख किलोमीटर सड़कें बनाई गईं।
रोज़गार और कौशल विकास:-
- श्रम बाजार सुधार :- 2022-23 में बेरोजगारी दर घटकर 3.2% रह गई।
- शहरी बेरोजगारी :- मार्च 2024 के अंत में घटकर 6.7% रह गई।
- श्रम बल वितरण :- कृषि में 45%, विनिर्माण में 11.4%, सेवाओं में 28.9% और निर्माण में 13%।
- युवा बेरोजगारी :- 2017-18 में 17.8% से घटकर 2022-23 में 10% हो गई।
- ईपीएफओ पेरोल :- नए ग्राहकों की उल्लेखनीय वृद्धि, विशेष रूप से 18-28 वर्ष आयु वर्ग के बीच।
- महिला श्रम बल भागीदारी :- पिछले 06 वर्षों में लगातार बढ़ रही है।
- विनिर्माण क्षेत्र सुधार :- संगठित विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार महामारी से पहले के स्तर से ऊपर है।
- मजदूरी वृद्धि :- ग्रामीण मजदूरी 6.9% सीएजीआर और शहरी मजदूरी 6.1% सीएजीआर पर बढ़ी है।
- कारखानों की वृद्धि :- वित्त वर्ष 18 और वित्त वर्ष 22 के बीच 100 से अधिक कर्मचारियों वाले कारखानों की संख्या में 11.8% की वृद्धि हुई।
कृषि और खाद्य प्रबंधन:-
- कृषि विकास :- इस क्षेत्र ने पिछले पाँच वर्षों में स्थिर कीमतों पर 4.18% की औसत वार्षिक वृद्धि दर दर्ज की।
- ऋण और सूक्ष्म सिंचाई :- कृषि के लिये वितरित ऋण राशि 22.84 लाख करोड़ रुपए थी।
- FY2015-16 से 90 लाख हेक्टेयर क्षेत्र सूक्ष्म सिंचाई के अंतर्गत शामिल किया गया।
- किसान क्रेडिट कार्ड :- 9.4 लाख करोड़ रुपए की सीमा के साथ 7.5 करोड़ कार्ड जारी किये गए।
उद्योग – मध्यम एवं लघु:-
- औद्योगिक विकास :- FY 2024 में 8.2 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि को 9.5 प्रतिशत की औद्योगिक विकास दर से समर्थन मिला।
- फार्मास्युटिकल और वस्त्र क्षेत्र :- भारत का फार्मास्युटिकल बाज़ार अपनी मात्रा के अनुसार विश्व का तीसरा सबसे बड़ा बाज़ार है।
- यह वैश्विक स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा वस्त्र निर्माता है, जिसका वस्त्र और परिधान निर्यात FY24 में 2.97 लाख करोड़ रुपए तक पहुँच गया।
- इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण :- भारत का इलेक्ट्रॉनिकी विनिर्माण क्षेत्र, वैश्विक बाज़ार हिस्सेदारी का अनुमानित 3.7% है।
- FY 23 में घरेलू उत्पादन बढ़कर 8.22 लाख करोड़ रुपए हो गया, जबकि निर्यात बढ़कर 1.9 लाख करोड़ रुपए हो गया।
सेवाएँ- विकास के अवसरों को बढ़ावा देना:-
- सेवा क्षेत्र का योगदान :- कुल GVA का 55%, महामारी से पहले के स्तर पर वापस।
- सक्रिय कंपनियाँ :- सबसे सक्रिय कंपनियों में से 65% सेवा क्षेत्र में हैं।
- वैश्विक सेवा निर्यात :- 2022 में विश्व वाणिज्यिक सेवा निर्यात का 4.4% हिस्सा बना।
- कंप्यूटर और व्यावसायिक सेवा निर्यात :- भारत के सेवा निर्यात का 73% हिस्सा बना, जो साल-दर-साल 9.6% अधिक है।
- विमानन क्षेत्र की वृद्धि :- कुल हवाई यात्री यातायात में साल-दर-साल 15% की वृद्धि हुई।
- सेवा क्षेत्र ऋण :- मार्च 2024 में ₹45.9 लाख करोड़, जो साल-दर-साल 22.9% अधिक है।
बुनियादी ढांचा – संभावित विकास को बढ़ावा देना:-
- राष्ट्रीय राजमार्ग :- राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण की औसत गति FY14 में 11.7 किलोमीटर प्रतिदिन से लगभग 3 गुना बढ़कर FY 24 तक लगभग 34 किलोमीटर प्रतिदिन हो गई है।
- रेलवे :- पिछले पांच वर्षों में रेलवे पर पूंजीगत व्यय में 77% की वृद्धि हुई है।
- विमानन :- FY 24 में 21 हवाई अड्डों पर नए टर्मिनल भवन बनाए गए हैं।
- रसद :- भारत अंतरराष्ट्रीय शिपमेंट श्रेणी में वित्त वर्ष 14 में 44वें स्थान से बढ़कर FY23 में 22वें स्थान पर पहुंच गया है।
- अंतरिक्ष :- भारत के पास 55 सक्रिय अंतरिक्ष संपत्तियां हैं,
- जिनमें 18 संचार, 9 नेविगेशन, 5 वैज्ञानिक, 3 मौसम विज्ञान और 20 पृथ्वी अवलोकन उपग्रह शामिल हैं।
- डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर :- डिजिलॉकर प्लेटफॉर्म पर 26.28 करोड़ से अधिक पंजीकृत उपयोगकर्ता हैं और 674 करोड़ से अधिक जारी किए गए दस्तावेज़ हैं।
- दूरसंचार :- भारत में कुल टेलीघनत्व (प्रति 100 जनसंख्या पर टेलीफोन की संख्या) मार्च 2014 में 75.2% से बढ़कर मार्च 2024 में 85.7% होने का अनुमान है।
जलवायु परिवर्तन और भारत:-
- त्रुटिपूर्ण और सार्वभौमिक रूप से लागू न होने के कारण अति उपभोग को नज़रअंदाज़ किया जाता है।
- अति उपभोग संस्कृतियों के विपरीत, प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण संबंधों पर ज़ोर देता है।
- वैश्विक जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने के लिए सचेत उपभोग को बढ़ावा देते हुए मानव-प्रकृति सामंजस्य पर ध्यान केंद्रित करता है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में उल्लिखित प्रमुख चुनौतियाँ :-
- वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियाँ और FDI
- भारत विशेष रूप से नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में आयात हेतु चीन पर बहुत अधिक निर्भर है।
- AI खतरा
- निजी निवेश में कमी
- रोज़गार संबंधी अनिवार्यता
- जीवनशैली संबंधी नुकसान
आर्थिक सर्वेक्षण अनुशंसित समाधान:-
- निजी क्षेत्र द्वारा रोज़गार सृजन
- निजी क्षेत्र द्वारा जीवनशैली में परिवर्तन
- कृषि क्षेत्र को पुनर्जीवित करना
- विनियामक बाधाओं को दूर करना
- प्रशासनिक सुदृढ़ीकरण
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